गुजरते वर्षों की छाया में,
एक समय उज्ज्वल प्रेम, अब आंसुओं में डूबा हुआ,
तुम दुनिया छोड़ गए, मीत...,
चार साल बीत गए, पता ही नहीं चला।
ओह, मेरा प्यार कहाँ लड़खड़ा गया, प्रिये?
तुमने कौन सा छिपा हुआ दर्द सहा, गंभीर?
खामोशी में तुम जिंदगी की गोद से फिसल गए,
तलाशने के लिए सवाल, यादें छोड़ रहा हूं।
क्या कोई ऐसा शब्द था जिसे मैं कहने में असफल रहा?
रास्ते में खो गया एक इशारा?
क्या वक़्त ने आपके दिल की चाहत को धुंधला कर दिया,
जब तक प्यार की लौ शांत आग में न बदल जाए?
आपकी अनुपस्थिति बनी रहती है, एक सताता हुआ राग,
शांत क्षणों में, यादें संग्रहीत,
पछतावा अब अपना मलिन धागा बुन रहा है,
अनकहे शब्दों के लिए, अनकहे अहसासों के लिए।
फिर भी जो कुछ हमारे पास था मुझे उसे संजोने दो,
एक गहरा प्यार, हालांकि कड़वा-मीठा, पहना हुआ,
कोमल क्षणों में, हँसी साझा की गई,
एक बंधन जिसे कभी संजोया गया था, अब घोषित किया गया है।
ऐ मीत , तेरा जाना, दर्द का कफ़न,
फुसफुसाहट की गूँज में तेरा नाम रहता है,
शांति आपकी आत्मा को सच में गले लगाए,
जैसे कि मैं तुम्हारी यादों में सांत्वना ढूंढता हूं।
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