Tuesday, 29 August 2023

जो अँधेरे में सदैव नैतिक बना रहता है,

 


जो अँधेरे में सदैव नैतिक बना रहता है,

राह में सत्य की परीक्षा से कभी हिचक नहीं खाता।

वह रोशनी के समय भी नैतिकता की बिक्री नहीं करता,

अपने मूल्यों के खेल में कभी नहीं हिलता।

जो दुनिया में सबसे खुदरा रहता है,

वह अपने शब्दों और कार्यों से किसी को भी नहीं आहट देता।

लेकिन अँधेरे में वह भी अच्छूत नहीं बन पाता,

चिपकर जाता है वह विकृतियों की चादर में, अपने मूल्यों से विचलित हो जाता।

सजग रहो, ऐ मनुष्य, नैतिकता की प्रकाश में,

चुनौतियों का सामना करो, दीप्ति से ज्यों विश्वास में।

नफ़रत और बुराई का अँधेरा कभी न छा सके,

जगमगाती नैतिक रोशनी से, अबला नहीं बन पाए।

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