हमारे भीतर छुपे रहस्यमय आवेश,
हमें रोकते हैं, हमें बंद करते हैं आगे के पथ।
लेकिन हमारे भीतर छिपे उत्कृष्टता की लालसा,
हमें आगे बढ़ने की दिशा में धकेलती है उस उम्मीद की सांस।
हम खुद को प्रतिबंधित महसूस करते हैं,
अवांछित विचलनों की बातों में खो जाते हैं हम।
लेकिन हमारे भीतर बसती अद्वितीयता की आवश्यकता,
हमें नये सफरों में आगे बढ़ने की ओर बढ़ती है वो आवाज़।
हम थम जाते हैं, समय के लहरों में उलझकर,
या फिर बह जाते हैं, उन लहरों के साथ जो हमें आगे ले जाते हैं।
लेकिन आखिरकार, यह हमारा निर्णय करता है,
कि हम कैसे उत्तरते हैं, कैसे अपने अंतर्निहित सत्य की ओर बढ़ते हैं।
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