Sunday, 10 September 2023

बचपन की खुसिया


 

बचपन की खुसिया

 पतंग और नीले आकाश के साथ थी,

हम उड़े पतंगों के साथ, उड़ान भरते हमारे सपने।

फुर्तीली उंगलियों और प्रसन्न हृदयों के साथ,

 रंग-बिरंगी पतंगें, इंद्रधनुष जैसी चमकीली,

पंख फैलाए, ऊंचाई पर ले गए।

कागज़ के पाल और पूंछों के साथ जो नाच रहे थे,

उन्होंने हवा पकड़ ली, उनका भाग्य खुल गया ।

बचपन की खुसिया

 पतंग और नीले आकाश के साथ थी,

ओह, वह आनंद जिसने हमारी युवा आत्माओं को भर दिया,

जैसे ही हमने उन्हें बढ़ते देखा, हमारे छोटे लक्ष्य।

हवा के आलिंगन के साथ तालमेल में,

हमारी पतंगें खुली जगह में खुलकर नाच उठतिथीं।

 ऊंची छतों पे, हम कटी पतंग का पीछा करते थे,

हमारी पतंगों का शुभारंभ, एक आनंदमय दौड़ था।

हवा में गूंजती हँसी के साथ,

हम चिंताओं और और परिवार को पीछे छोड़ देते थे ।

बचपन की खुसिया

 पतंग और नीले आकाश के साथ थी,

 आकाश में युद्ध का रोमांच शुरू होता था,

जैसे पतंगें पतंगों से मिलीं, एक जीवंत एक दौड़ लगती थी ।

डोरी आपस में जुड़े हुए, माशूम उंगलियों को कटती थी,

हमारी पतंग ऊपर ले जाने की कोसिस थी,

 हमारी आत्माएँ प्रफुल्लित हो ती थी।

और जब सूरज ढलने लगता था,

फिरभी हम आकाश को देखते थे

चाँदनीकी चमक में, हमारी पतंगें उड़ेंगी,

ऊपर के सितारों के साथ, हमारे सपने जुड़ थे ।

बचपन की खुसिया

 पतंग और नीले आकाश के साथ थी,

 लेकिन जैसे-जैसे दिन ख़त्म होता था,

सुखद यादों के साथ, हमारे दिल धड़कता था ।

उन क्षणों में, हमें शुद्ध आनंद मिलता था,

पतंग उड़ाना, बचपन का अनमोल चुंबन था ।

हालाँकि साल बीत चुके हैं, और समय बदल गया है,

हमारे दिलों में यादें अंकित हो जाती हैं।

पतंग उड़ाने का आनंद हमेशा बना रहता है,

हमारे दिलों के आसमान में, जहाँ मासूमियत खेलती है।

बचपन की खुसिया

 पतंग और नीले आकाश के साथ थी,

ECHO-एक गूँज   

 

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