मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज की करती वो बारिश का पानी।
बारिश का मौसम आते ही मन को एक अलग ही चंचलता आ जाती है। आसमान में उमड़ते बादलों को देखकर मन करता है कि बाहर जाकर भीग जाऊं। बचपन में तो बारिश का मौसम और भी खास होता था। उस समय हम कागज की कश्ती बनाकर बरसात के पानी में छोड़ते थे। कश्ती को पानी में बहते हुए देखकर बहुत अच्छा लगता था। कभी-कभी कश्ती उड़ जाती थी, तो कभी-कभी पानी के बीच में फंस जाती थी। हम उसे बचाने के लिए पूरी कोशिश करते थे।
बारिश के पानी में भीगने का भी एक अलग ही आनंद था। हम बारिश में नंगे पांव दौड़ते थे, खेलते थे, और मस्ती करते थे। हमें बिल्कुल भी नहीं लगता था कि हम भीग रहे हैं। बल्कि, हमें तो बारिश में भीगना बहुत अच्छा लगता था।
काश, बचपन का सावन फिर से लौट आये। हम फिर से कागज की कश्ती बनाकर बरसात के पानी में छोड़ें। फिर से बारिश में भीगें और मस्ती करें। लेकिन, बचपन तो एक बार ही आता है और वह कभी लौट कर नहीं आता। इसलिए, हमें वर्तमान में जीना चाहिए और हर पल का आनंद लेना चाहिए।
बचपन की यादें
बचपन की यादें बहुत ही प्यारी होती हैं। उन यादों में हम अपने दोस्तों, परिवार, और दोस्तों के साथ खेलने के पल को संजोकर रखते हैं। बचपन में हम किसी भी चीज की परवाह नहीं करते थे। हमें बस खेलना-कूदना और मस्ती करना अच्छा लगता था।
बारिश का मौसम तो बचपन की यादों में सबसे ज्यादा ताजा रहता है। उस समय हम बारिश में भीगने, कागज की कश्ती बनाकर पानी में छोड़ने, और दोस्तों के साथ खेलने का आनंद लेते थे। हमें बिल्कुल भी नहीं पता था कि यह समय कितना जल्दी बीत जाएगा।
आज जब हम बड़े हो गए हैं, तो हमें बचपन की यादें बहुत याद आती हैं। हम चाहते हैं कि बचपन फिर से लौट आए। लेकिन, बचपन तो एक बार ही आता है। इसलिए, हमें वर्तमान में जीना चाहिए और हर पल का आनंद लेना चाहिए।
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